तो बात होए
वो अपने नजदीक सटा ले मुझको तो बात होए
वो ज़ुल्फों में अपनी लगा ले मुझको तो बात होए
हूँ सुर्ख़ पत्ता महज़ और है ज़रा सी खुशबू
वो गुल गुलिस्तां से चुरा ले मुझको तो बात होए
मैं बन के बादल शब-ओ-रोज़1 बरसूँ
वो प्यास अपनी बना ले मुझको तो बात होए
हो उसको ज़रुरत तो बन जाऊं काजल
वो नैनों में अपने सजा ले मुझको तो बात होए
है चाह मेरी मैं बन जाऊँ सुर्ख़ी2
वो लबों पे अपने लगा ले मुझको तो बात होए
बनूँ बिंदी भी मैं चूमूँ उसकी जबीं3 को
वो दुपट्टे के मुआफ़िक संभाले मुझको तो बात होए
'नूतन' इतना चाहूँ वो बन जाए राधा
फिर श्याम अपना बना ले मुझको तो बात होए
वो ज़ुल्फों में अपनी लगा ले मुझको तो बात होए
हूँ सुर्ख़ पत्ता महज़ और है ज़रा सी खुशबू
वो गुल गुलिस्तां से चुरा ले मुझको तो बात होए
मैं बन के बादल शब-ओ-रोज़1 बरसूँ
वो प्यास अपनी बना ले मुझको तो बात होए
हो उसको ज़रुरत तो बन जाऊं काजल
वो नैनों में अपने सजा ले मुझको तो बात होए
है चाह मेरी मैं बन जाऊँ सुर्ख़ी2
वो लबों पे अपने लगा ले मुझको तो बात होए
बनूँ बिंदी भी मैं चूमूँ उसकी जबीं3 को
वो दुपट्टे के मुआफ़िक संभाले मुझको तो बात होए
'नूतन' इतना चाहूँ वो बन जाए राधा
फिर श्याम अपना बना ले मुझको तो बात होए
1. शब-ओ-रोज़ : दिन-रात, 2. सुर्ख़ी : लिपस्टिक, 3. जबीं : माथा