अर्द्धांगिनी
जब से दोनों का हाथ मिला
हर संकट में तेरा साथ मिला
तू जो मुझसे रूठी ना
ये डोर जो अपनी टूटी ना
तू खुशियों में मेरे साथ घुली
काँटों पर मेरे साथ चली
तूने यम को भी सम्मुख झुका दिया
मुझको रिश्ते का मतलब सीखा दिया ॥
तेरा चरित्र महान होगा
हर सजा को मेरे साथ भोगा
जीवन तेरा बस समर्पण है
मेरी मुस्कान ये तुझको अर्पण है
हर मर्ज की दवा है तू मेरी
ईश्वर की दुआ है तू मेरी
तूने आग को भी पार करके दिखा दिया
मुझको रिश्ते का मतलब सीखा दिया ॥
मेरी हर बात पढ़ लेती
बिन कहे लफ़्ज़ों को समझ लेती
खुद की तुझको परवाह थी कहाँ
ध्यान वहीं मैं था जहाँ
ये घर तेरा रखवाला है
तूने ही घर कर डाला है
तूने ' एक देह दो रूह ' को सार्थक बना दिया
मुझको रिश्ते का मतलब सीखा दिया ॥
नालायक हैं वे जो दहेज़-पूँजी लेते हैं
बेटी वाले तो खुशियों की कुँजी देते हैं
वो है रंगोली उस घर की ,जो पाँव तले तुम दबाते हो
उसका रूप तो विकृत हुआ ,खुद ही लक्ष्मी ठुकराते हो
तुम खींचो जितना भी उसे ,वो तनाव को सह लेगी
मैं दो घरों की बँधी डोर ,मन ही मन ये कह लेगी
उसको प्रताड़ित करके तो ,तुमने खुद को ही लजा दिया
वो है एक देवी का रूप ,
उसने शक्ति का मतलब सीखा दिया॥
~ कान्हा'नूतन'