Tuesday 7 March 2017


तेरी यही कहानी है




आँखों में आँसू हो फैले
होंठों पर हँसी दिखानी है
बरसों से चली आ रही
तेरी यही कहानी है |

पापा भजिया
बेटी खिचड़ी
बेटा हलवे की माँग करे
तू जो बचा है
खा लेती है
तेरी यही कहानी है |

पायल आँगन से बाँधे
घूँघट मर्यादा बतलाता
कुमकुम मन पर
रोक लगाती है
तेरी यही कहानी है |

पापा को शादी
ससुर को पोता
पति को चाहिए जवानी
तेरी आशाएँ बेमतलब
रह जाती है
तेरी यही कहानी है |

मिठाई बाजार से आती
तेरी आधी मिठाई भी
भाई को देती
उसमे भी तुझे खुशी
मिल जाती है
तेरी यही कहानी है |

कभी हत्या
कभी बलात्कार
कभी तेज़ाब झेलती
जिंदगी जीती कम
ख़तरे में ज़्यादा
बिताती है
तेरी यही कहानी है |

माँ , बहन , बेटी या पत्नी
तू हर रूप में पूजित है
कविता अपनी ये छोटी सी 'नूतन' करे समर्पित तुझको
तू ही मानव का उद्गम है
तेरी अमर कहानी है |

-कान्हा'नूतन'

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